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लव इज माय लाइफ ए ब्यूटीफुल लव स्टोरी

फिर स्नेहा लव की कलाई से चुस -चुस कर, जहर बाहर निकालने लगती है, यह क्रिया वह तब तक करती रहती है, जब तक वह स्वयं, जहर के असर से बेसुध हो जाती। अब लव और स्नेहा दोनों वहां बेसुध अवस्था में पड़े हैं।

वहीं दूसरी तरफ इन दोनों की तलाश शुरू हो जाती है क्योंकि रात होने आई है और यह दोनों अब तक, घर नहीं लौटे हैं।
लव के चाचा जोनी को सोनिया ने बताया कि उसने सुबह लव को पहाड़ी की तरफ जाते देखा था, जोनी अपने दो पहलवान साथियों के साथ पहाड़ी पर पहुंचता है और इन दोनों ओर बेसुध अवस्था में पड़ा देखता है।
फिर जोनी बिना समय गंवाए इन दोनों को चिकित्सालय ले आता है।

डॉक्टर, जोनी से कहता है "लव को जहरीले नाग ने डस लिया है और इस लड़की ने अपने मुंह से जहर चुस कर लव को बचाने की कोशिश की है"।

4 घंटे बाद लव को होश आता है और होश में आते ही लव स्नेहा का नाम पुकारने लगता है वहीं मौजूद जॉनी अपने लाडले भतीजे लव के सिर पर हाथ फेरते हुए कहता है।

"वह लड़की यहीं है, उसी लड़की ने तुम्हारी जान बचाई है पर अभी उसे होश नहीं आया है"।

अपने चाचा की बात सुनकर लव का हृदय मोम की तरह पिघल जाता है और आंसू बनकर आंखों से बूंदों की तरह टपकने लगता है, लव कसमसाकर उस चारपाई से उतरता है और स्नेहा की दशा देखने आईसीयू में चला आता है, यहां उसे स्नेहाहा के गंभीर स्वास्थ्य की जानकारी मिलती है, तभी लव के हृदय में स्नेहा के प्रति बहुत ही सम्मान के भाव उमड़ आते हैं, जो इस प्रकार हैं।

                                   (शायरी)
"मेरा इतना मोल नहीं, जो तू अपनी जान गंवाए"।
"मुझ पर अपना सब कुछ लुटा कर, तू मुझे यह समझाए"।
"कि मेरी जान की कीमत तूने, अपनी जान लगाई है"।
"नासमझ तेरा कोई मोल नहीं, यह तुझे कैसे समझाए"।

लव अपना उदास चेहरा लिए आईसीयू से बाहर आता है तो उसे एक छोटा सा भगवान का मंदिर नजर आता है, कहते हैं जहां दवा काम नहीं आती है, वहां दुआ काम आती है इसीलिए अब नास्तिक लव को केवल यही उम्मीद नजर आई है, लव प्रार्थना भाव से कहता है

"जीवन में आज तक ऐसी नौबत नहीं आई कि मुझे किसी के सामने झुक कर उस से सहायता मांगनी पड़ी पर आज मैं आपको झुककर प्रणाम करता हूं, क्योंकि मुझे आज आप से बड़ी कोई और उम्मीद नहीं नजर नहीं आ रही है, इसीलिए मैं आज आपसे एक सौदा करने आया हूं, अगर आज स्नेहा बच जाती है तो मैं उसका कारण आपको मान कर जीवन भर सत्य के मार्ग पर चलूंगा, अपनी सारी बुराइयों को छोड़ दूंगा और अगर आज  स्नेहा नहीं बची तो मैं इस संसार का सबसे बुरा मनुष्य बन जाऊंगा, अब हम दोनों का भविष्य आपके हाथ में है, मेरे भगवान"।

तभी डॉक्टर जॉनी से आकर कहता है -" वह लड़की अब खतरे से बाहर है, आप चाहो तो उससे मिल सकते हैं"।

यह शब्द प्रार्थना कर रहा लव भी सुन लेता है, यह सुनते ही वह उत्साहित हो उठता है फिर वह भगवान को धन्यवाद दे कर, दोड़ता हुआ, स्नेहा के पास आ जाता है, इन दोनों की नजरें मिलती है, दोनों के चेहरे पर खुशी है और आंखों में नमी है, दोनों एक दूसरे को सुरक्षित देखकर अपने हृदय के भीतर मेरा शुक्रिया अदा कर रहे हैं, पहले स्नेहा के भाव सुनाता हूं, जो इस प्रकार है।

                                          (शायरी)
"जीत गया इम्तेहान, हार गया वह वक्त, जो हमें हराना चाहता था"।
"मैंने तो बस कोशिश की थी, इसमें बेशक जादू आपका था"।
"मेरे खुदा तेरी रहमत की क्या मिसाल दूं, क्या तारीफ करूं"।
"वह इम्तिहान तो एक बहाना था, असल में मुझे आजमाना था"।

इस समय इन दोनों की नजरें एसे मिली हुई है कि वह पलक झपकना भी भूल गई है, इस वक्त दोनों की धड़कन भी एक साथ धड़क रही है, खुशी इतनी है, जो हृदय में समा नहीं पा रही है, ना तो दोनों के पास कहने को कोई शब्द है और ना ही कोई ऐसा इशारा है, जो इन दोनों के भाव को प्रदर्शित कर सके, शायद इसीलिए प्रेम को भाव रहित कहा जाता है पर मैं सबके हृदय में वर्तमान स्थित हूं, इसीलिए अब लव के हृदय के भाव कहता हूं, जो इस प्रकार है।

                                      (शायरी)
"सुख और दुख के खेल खिलाकर, तू सब को चलाएं"।
"तू ही दुख देकर रुलाए और खुशियां देकर हसाए"।
"जो स्वार्थ को सुख समझते हैं, वह कैसे तुझे पहचाने"।
"तु सच्चे हृदय के सुनने वाला, चाहे झूठे लाख चिल्लाएं"।

लव ने आज इस बात को बहुत अच्छे से समझ लिया है कि ईश्वर केवल सच्चे दिलों की ही सुनता है।
लव के पिता डेनी और ब्रह्मा जी के आ जाने के बाद, ब्रह्मा जी और जॉनी स्नेहा को छोड़ने उसके घर आते हैं, इस समय स्नेहा के माता-पिता भी बहुत परेशान है, संजय सागर की परेशानी तब और बढ़ जाती है, जब वह इन दोनों खलनायको के साथ अपनी बेटी को देखते हैं।

ब्रह्मा जी आज के दिन का घटनाक्रम बताते हैं और  स्नेहा की खूब तारीफ करते हैं पर अपने आदर्श व ईमानदारी के नशे में चूर संजय कहता है।

"मेरी बेटी नादान और नासमझ है, इसीलिए उसने ऐसा किया है, उसे क्या पता आज उसने कितने नए पाप और जुर्मों को नया जन्म दिया है, मुझे पूरी उम्मीद है, आपका लाडला बड़ा होकर ऐसे ही जुर्म के रास्ते पर चलेगा जिस पर तुम चल रहे हो"।

"अपने लाडले भतीजे के खिलाफ यह शब्द सुनकर जॉनी भड़क उठता है और संजय को करारा जवाब देते हुए कहता है।

"जुर्म करने के लिए जिगर चाहिए एसीपी साहब, इसीलिए शहर के लोग हमें जिगरवाला और पुलिस वालों को भौंकने वाला कुत्ता समझते हैं, भो! भो!

उसी क्षण संजय, जॉनी की गिरेबान पकड़कर कहता है

"अपने आप को बहुत बड़ा जिगर वाला समझता है, एक दिन तेरे इसी जिगर में ऐसी गोली मारूंगा कि तू कुत्ता कहलाने लायक भी नहीं रहेगा"।

बिगड़ती स्थिति को देखते हुए ब्रह्माजी तर्कपूर्ण अंदाज में कहते हैं।

"एसीपी साहब, मेहमान भगवान का रूप होते हैं, उन्हें खिलाया पिलाया जाता है, बंदूक की गोली से धमकाया नहीं जाता है, बहुत सुना था आपके बारे में, आज देख भी लिया"।
"आपका बिना कुछ खाए पिए, आपको एक सलाह देता हूं, अपनी हिम्मत और जोश को सही जगह लगाओ, हमारा क्या है शहर में हम जैसा कोई शरीफ भी नहीं और हम जैसा कोई और बदनाम भी नहीं है"।

ब्रह्मा जी का बात का मर्म समझते हुए संजय जोनी की गिरेबान छोड़ देता है और कहता है।

"बेहतर होगा तुम यहां से चले जाओ और तुम्हारी खातिर पानी मुझपर उधार रही, किसी दिन जुर्म के मैदान में तुम्हारी यह इच्छा में जरूर पूरी करूंगा फिर तुम कभी खातिर पानी को लेकर शिकायत नहीं करोगे"।

"खुदा करे कभी ऐसा दिन ना आए, अगर आ गया तो तुम शिकायत किससे करोगे"। जाते-जाते जोनी ने कहा।

इन दोनों के जाने के बाद संजय का गुस्सा स्नेहा पर बरसता है

"गुंडे के लड़के को बचाने के लिए, तुमने अपनी जान जोखिम में क्यों डाली"?

"वह मेरा बेस्ट फ्रेंड है, कोई गुंडा नहीं है"।

"मुझसे बदतमीजी ना करो स्नेहा, मैं नहीं चाहता कि तुम उस डाकोत्रा लड़के से दोस्ती रखो और अगर तुमने मेरी बात नहीं मानी तो मैं तुम्हारा दाखिला दूसरे स्कूल में करा दूंगा"।

"पापा मैं न तो उसके पापा को जानती हूं और ना हीं उसके अंकल को जानती हूं, मैं बस अपने फ्रेंड को जानती हूं, जो गुंडा नहीं है"।

"समझा दो अपनी लाडली को नहीं तो पूरा पुलिस डिपार्टमेंट में, मेरी नाक कट जाएगी"। संजय ने गीता से कहा।

संजय के जाने के बाद गीता अपने शांत और सरल भाव से पूछती है

"क्या वह सच में तुम्हारा बेस्ट फ्रेंड है"?

"हां और उसकी सबसे खास बात यह है कि वह भी बिल्कुल आप की तरह है, मुझे झट से समझ लेता है"।  स्नेहा ने कहा

"क्या वह मुझसे भी खास है"?

"नहीं पर आप से कम भी नहीं है क्योंकि वह बिल्कुल आप की तरह है, मैं ड्रेस चेंज कर आती हूं"।

"गीता अपनी बेटी का यह जवाब सुनकर उसे आश्चर्य से देखती रह जाती है क्योंकि वह अपनी बेटी की सोच - समझ से अच्छी तरह परिचित है, अब उसे यह भी अच्छी तरह समझ आ गया है कि जरूर लव में ऐसी विशेषता होगी, तभी वह उसे पसंद करने लगी है, गीता यह भी जानती है कि उसकी बेटी अनोखी अद्भुत एवं असाधारण है, गीता स्वयं भी स्नेहा की नवीनता से प्रभावित है, इसी कारण गीता  लव को भी आश्चर्य से देखती है"।

(अगले दिन)

संजय प्रतिदिन की तरह सुबह जल्दी उठकर  स्नेहा से मिलता है और उसके सिर पर प्रेम से हाथ फेरता हुआ कहता है।

"मेरी प्यारी बिटिया उठ जाओ, मैं तुम्हें एक छोटी सी कहानी सुनाना चाहता हूं"।

"स्नेहा झट से उठ कर बैठ जाती है और उत्साह से कहानी सुनने लगती है"।

"एक गांव में तीन राक्षस रहते थे, उन तीनों राक्षस से पूरा गांव डरता था, किसी में उन राक्षसों से लड़ने की हिम्मत नहीं थी, इसीलिए वह तीनों राक्षस पूरे गांव पर अपनी मनमानी चलाते थे पर एक दिन उस गांव में तुम्हारे पापा जैसा निर्भय पुलिस ऑफिसर आ गया और उसने उन तीनों राक्षसों को गोली से मार दिया, यह जो तुम्हारा दोस्त है, उसके पिता और वह दोनों अंकल बिल्कुल राक्षस की ही तरह है, तुम कह रही हो तो मैं मान लेता हूं कि तुम्हारा दोस्त अच्छा लड़का है, मैं उसे उसके अच्छे भविष्य की शुभकामनाएं देता हूं पर तुम्हारे दोस्त के रिश्तेदार का इलाज केवल मेरी बंदूक की गोली में है, मैं जब तक उन्हें, उनके सही अंजाम तक नहीं पहुंचा देता, तब तक इस शहर में शांति नहीं आएगी"।

"पापा"! "आप उन तीनों की जान को ज्यादा विशेष मानते हो या इस शहर की शांति को ज्यादा विशेष मानते हो"।

"इस शहर की शांति को ज्यादा विशेष मानता हूं पर जब तक अपराधी समाप्त नहीं होंगे, तब तक अपराध भी खत्म नहीं होंगे और जब तक अपराधी जीवित रहेंगे, तब तक शहर में शांति कैसे आएगी"?

"शांति की स्थापना, हिंसा से नहीं, प्रेम से होती है, आप उन अपराधियों को सुधारने का अवसर दीजिए, आप प्रेम कुमार जी को इतना मानते हो, उनके विचारों को क्यों नहीं मानते हो"?

"मेरी ज्ञानी बिटिया, में आज तक बातों में तुमसे जीत नहीं पाया हूं, इन किताबी बातों को इतनी गंभीरता से मत लिया करो"।

"क्या अब सत्य का स्वरूप केवल, किताबी रह गया है"।  स्नेहा ने प्रश्न किया।

"तुम्हारे हाथ जोड़ता हूं, मैं बातों में तुम्हें कभी हरा नहीं पाऊंगा"।

वहीं दूसरी तरफ ब्रह्मा जी अपनी बेटी सोनिया के साथ लव के घर आते हैं, ब्रह्मा जी घर के बने गार्डन में बैठे डैनी के पास रुक जाते हैं और सोनिया लव से मिलने घर के भीतर चली जाती है।

सुबह की धूप का आनंद ले रहे डैनी, मेज पर पांव रखकर, बड़ा चश्मा लगाए सिगार पी रहे हैं, ब्रह्मा जी डैनी के सामने आकर बैठ जाते हैं।

"जब कांटे से कांटा निकल सकता है तो तलवार खरीदने की क्या जरूरत है, ब्रह्मा जी"? डैनी ने कहा।

"मैं आप का मतलब नहीं समझा, डैनी साहब"?

"मेरा मतलब साफ है ब्रह्मा जी, जब राष्ट्रीय गणतंत्र पार्टी हमें, हमारी मनचाही सीटों से टिकट देने को तैयार है तो आप क्यों नयी पार्टी बनाने की जीद पर अड़े हो"?

"राजनीति किसी व्यक्ति पर एहसान नहीं करती, केवल उस व्यक्ति का इस्तेमाल करती है, इस राज्य में, वह हम ही दो व्यक्ति हैं जो गणतंत्र पार्टी की सत्ता को बचा सकते हैं, हमें इस डूबते जहाज को छोड़कर, नए जहाज में सवार हो जाना चाहिए, अगर हम किसी की सत्ता बचाने के योग्य  हो गए हैं तो क्यों ना हम खुद ही सत्ता में बैठ जाएं और सच कहूं तो राष्ट्रीय गणतंत्र पार्टी पर जो आरोप लगे हैं, उन्हें देखते हुए हमें नए विकल्पों के साथ ही चलना होगा"। ब्रह्मा जी ने तर्कपूर्ण कहा।

वहीं दूसरी तरफ लव रात को देरी से सोने के कारण अभी तक जागा नहीं है, सोनिया लव को उठाती है।

"अब कैसे हो लव, पापा ने बताया तुम्हें जहरीले नाग ने डस लिया था"?

"हां सही सुना है, अब मैं पूरी तरह ठीक हूं"। लव ने उठते हुए कहा।

"मैंने सुना है स्नेहा ने अपनी जान पर खेलकर तुम्हें बचाया है"।

"आज मैं स्नेहा के कारण ही जिंदा हूं, अगर स्नेहा नहीं होती तो आज मैं भी नहीं होता"।

"ऐसा क्यों कह रहे हो, अगर वहां में होती तो मैं भी वही करती, जो स्नेहा ने किया"। सोनिया ने ईर्ष्यालु भाव से कहा।

तभी वहां लव की चाची निशा, अपने बेटे रोहित के साथ आ जाती है, निशा एक बहुत ही साहसी स्त्री है एवं इसकी आवाज कड़कड़ाती बिजली जैसी है, निशा भी एक बहुत ही बड़े अपराधिक परिवार से ताल्लुक रखती है, इसी कारण वह निर्भय है पर ग्रामीण क्षेत्र की होने के कारण उसकी बोलचाल थोड़ी अजीब है, वह आते ही लव को अपने आंचल में भर लेती है, और कहती है।

"कय हुयो म्हारा लल्ला के, मैंने सुनियो थारे काला नाग ने डसि लियो, में कदि भी इन डाकोत्रा होण का घर नी आती पर थारा कारण म्हारे आणो पड़ियो"।

वही पास के कमरे में सोए जॉनी के कानों में निशा की कड़कड़ाती आवाज पड़ती हैं तो वह अपनी चारपाई से नीचे गिर पड़ता है।

निशा दोबारा हुंकार भरती हुई बोली

"का है उ जॉनी डाकोत्रो,  जो अपना आप के बहुत बड़ो तुर्रम खान समझे है, मैं आज उ के नी छोडूंगी"।

यह सुनते ही जॉनी अपनी चारपाई के नीचे छुप जाता है और निशा उसको  इधर-उधर ढुढंने लगती है

तभी लव कहता है।

"चाची इसमें चाचा की क्या गलती है, आप खामखां उनपर गुस्सा हो रही है, मैं अपनी मर्जी से वहां गया था"।

"लव तू चुपचाप रे, ज्यादा मत बोल, म्हारे  सब पतो है, ई में कि की गलती है, उ जॉनी डाकोत्रो म्हारे सईसाट नी जाणे है कि मैं उससे भी बड़ी गुंडी हूं, ऊ तो मैंने थारा और रोहित का कारण गुंडागर्दी छोड़ दी, नी तो जय के पूछ ले आखा पालवा में निशा बेवड़ी कुण है"?

"चाची आप चाचा से लड़ाई करने आई हैं या मुझे देखने आई है"?

"थारा लिए अईई हूं रे, म्हारा लल्ला"।

निशा, लव, सोनिया, रोहित जॉनी के कमरे में आ गए हैं पर इन्हें यहां जोनी दिखाई नहीं दे रहा है, तभी संयोगवश रोहित की कार वहां चारपाई के नीचे चली जाती है, फिर वह अपनी कार निकालने चारपाई के नीचे आ जाता है और वह जॉनी को देखते ही जोर से कहता है -"मम्मी, पापा नीचे छुपे हैं"।

तभी जॉनी बाहर निकल कर रूबाब से कहता है।

"दुश्मनी बहुत हो गई है इसलिए, अपने ही घर में चारपाई के नीचे सोना पड़ता है, नीशा बेवड़ी तू, तो कसम खा कर गई थी ना कि मेरे घर कभी नहीं आएगी फिर क्यों आई है, यहां"?

"मसाण का लिया,  मैं म्हारा लल्ला के लेने अई हूं, तूने, म्हारे बोलियो थो कि तू लव को ध्यान रखेगो फिर बता म्हारा लल्ला के नाग ने कैसे डसियो"?  "थारी मंजी का बिणा शहर में एक पत्ता भी नी हिलें तो बता म्हारा लल्ला के नाग ने कैसे डसियो"?

"वह नाग इस शहर में नया नया आया है इसलिए मुझे नहीं जानता है, उसे पकड़कर चीटियों के डिब्बे में डाल दिया है, उसे 1 महीने तक ऐसे ही धीरे-धीरे तड़पा तड़पा कर मारूंगा"। जोनी ने कहा।

"झूठ मत बोल टेगड़ा, थारी असली औकात में जानू हूं, ईका लिए मैं लल्ला के म्हारा साथ ली जई री हूं, अब म्हारे तम डाकोत्रा होण पे भरोसो नी होई"।

"खबरदार निशा बेवड़ी,! "जो तूने, लव को यहां से ले जाने की बात कही तो, तू जिस गंदी जगह पर रहती है वहां पर हमारे पांव के जूते भी आना पसंद नहीं करते हैं"।

जॉनी के यह शब्द सुनकर निशा आग बबूला हो उठती है और अगले ही पल जॉनी की गर्दन पर अपनी कुल्हाड़ी रखकर कहती है।

देखू कि में इतो दम है जो म्हारे रोकी के बताइ, तम दोई भई ने मिली के कई लोग होण के किडनैप करियो है, आज मैं तमारा घर से लल्ला को किडनैप करके ली जई री हूं, देखू म्हारे कुण रोकी के बताई, अब मुण्डा में से एक शब्द भी बाहर फेंकियो तो थारी मुण्डी काटि के म्हारा दरवाजा पे टांगी दुंगी"।

फिर निषा, जॉनी की गर्दन पर कुल्हाड़ी लगाए उसे चुपचाप घर के बाहर गार्डन में ले आती है, यहां डेनी, निशा की यह हरकत देख कर उस पर भड़कते हुए कहता है।

"जाहिल औरत, यह क्या कर रही है"?  "तेरी इन्हीं हरकतों के कारण हमें, कई बार शर्मिंदा होना पड़ा है"।

"काला कुत्ता चुपचाप हुईं जा, नी तो आज थारा भई की गर्दन धड़ से अलग हुई जाईगी, म्हारो भेजो खराब मत कर, मैं थारी जैसी नकली गुंडी नी हूं, असली गुंडी हूं और मैंने लव कि बाई के वचन दियो थो कि मैं जिंदगी भर लव को ध्यान रखूंगी, अब कोई ने भी म्हारो रस्तो रोकियो तो उकि खैर नी है"।

निशा अपनी बाइक स्टार्ट करती है और लव और रोहित को लेकर वहां से चली जाती है डेनी, ब्रह्मा जी और उनके सभी पहलवान अंगरक्षक तमाशा देखते रह जाते हैं।

डेनी अपने छोटे भाई जॉनी पर बरसते हुए कहता है।

"यही नमूना मिला था तुझे शादी करने के लिए, एक भी गुण औरत का नहीं है इसमें और तुझे 4 बार हॉस्पिटल में भर्ती करा चुकी है यह औरत, बड़ी इच्छा थी तेरी की सबसे बड़ी गुंडी से शादी करूंगा, अब हो गई ख्वाहिश पूरी, मुझे शाम तक लव वापस मेरे घर चाहिए, अब उसकी गर्दन काट या उससे गर्दन कटवा पर शाम तक, लव मुझे मेरे घर चाहिए"।

"वह भी लव से हमारी ही तरह प्यार करती है, बस उसके दिमाग की बत्ती गुल हो गई है भैय्या"।

"वह जितना प्यार लव से करती है, काश उतना प्यार तुझसे भी करती, हजारों गालियां सुन चुका हूं, तेरे खातिर उसकी"।

निशा अपने घर लव को बड़े दुलार से खिलाती-पिलाती है कुछ घंटों बाद लव चाची से कहता है।

"चाची जिस लड़की ने मेरी जान बचाई उस लड़की का घर यहीं पास में है, मैं उस से मिलकर जल्द आ जाऊंगा"।

निशा इजाजत दे देती है, लव स्नेहा से मिलने निकलता है तो उसे रास्ते में सोनिया भी मिल जाती है फिर सोनिया और लव एक साथ स्नेहा के घर पहुंचते हैं, इस वक्त स्नेहा के पिता घर पर नहीं है, जो इन दोनों के लिए अच्छी खबर है।

लव की मुलाकात सबसे पहले गीता से होती है लव गीता के पैर छूकर कहता है -"मम्मी जी आपके हाथों का खाना खाए 2 दिन हो गए हैं, इसीलिए चला आया"। लव ने ऐसे कहा जैसे वह उसे पहले जानता हो।

"तुम लव हो"। गीता ने आश्चर्य से पूछा।

"हां मां यह लव है"। स्नेहा ने गीता के पीछे से जवाब दिया।

लव की देखा देखी सोनिया भी गीता के पैर छू लेती है और स्नेहा से हाल चाल पूछने लगती है।

"अच्छा तो तुम अब यह बताओ, तुमने पहले कब मेरे हाथों का खाना खाया, हमारी मुलाकात तो आज पहली बार हुई है"। गीता ने लव से कहा।

"रोज खाता हूं मम्मी जी, स्नेहा का टिफिन में और मेरा टिफिन स्नेहा"।

"झूठ मत बोलो लव, दोनों टिफिन तुम अकेले ही खाते हो मैं तो केवल टिफिन लाती हूं"। स्नेहा ने कहा

"हां तुम तो केवल टिफिन लाती हो पर उसे तैयार तो मम्मी जी करती है"। लव ने जवाब दिया।

"सही कहा पर टिफिन मेरे लिए तैयार होता है, क्योंकि यह मेरी मम्मी जी है"।

"क्या तुम्हारी मां मेरी मां ने ही हो सकती"? लव ने उदासी भाव से प्रश्न किया

लव की उदासीनता देखते हुए गीता कहती है मैं जितनी स्नेहा की मां हूं उतनी ही तुम्हारी भी मां हूं

मां यह लोग ऐसा ही है जिससे मिलता है उसे अपना बना लेता है अब देखो इतनी सी देर में इसने मुझसे मेरी आधी मां छीन ली

लव ने तुम्हें भी तो मुझसे अदा छीन लिया है गीता ने कहा

क्या

कुछ नहीं जब समय आएगा तब तुम समझ जाओगी

यह सब देख हुआ सुनकर सोनिया के आंसू बहने लगते हैं यह देख गीता पूछती है तुम रो क्यों रही हो

मेरी भी मां नहीं है सोनिया ने भावुक मन से कहा

जैसी दोस्ती हम दोनों के पापा के बीच है वैसी ही दोस्ती हम दोनों की मां के बीच भी थी एक एक्सीडेंट में वह दोनों एक साथ चल बसी

यह सुनकर गीता की ममता में और निखार आ जाता है उसका मातृत्व प्रेम लव और सोनिया पर उमड़ पड़ता है और वह कहती है आज से जैसी मेरे लिए इसने हैं वैसे ही तुम दोनों भी हो

इन शब्दों के साथ गीता लव सोनिया को अपने आंचल में भर लेती है और इसी तरह लव सोनिया को मां मिल जाती है

लव सोनिया को उसके घर छोड़कर अपनी चाची के पास आ गया है रात हो चुकी है निशा अपनी अलग ही भाषा में इन दोनों को अपनी कहानी सुना रही है तभी इन तीनों के कानों में एक जानी पहचानी आवाज सुनाई पड़ती है

तनीषा बुढ़िया तूने मेरे घर आकर मेरे लोगों को किडनैप किया चुपचाप लव कोमेरे हवाले कर दे वरना आज तुझे मुझ से भगवान भी नहीं बचा पाएंगे नशे में चूर जॉनी ने दरवाजे बजा कर कहा

निशा अपनी कुल्हाड़ी लेकर दरवाजा खोलती है और भभकते हुए अंगारों की तरह कहती है  -"भंडूरा थारे आज, थारी  मोत या पे खींची के लई है, आज थारी गर्दन काटी के म्हारा दरवाजा पे टांगुंगी।

यह कह कर निशा अपनी कुल्हाड़ी से जॉनी की गर्दन पर वार करती है पर जॉनी इच्छुक कर खुद को बचा लेता है निशा फिर दूसरा वार करती है इस बार भी जॉनी बच जाता है पर धोनी की कार का शीशा टूट जाता है फिर जॉनी वहां से भागकर एक खंबे पर चढ़ जाता है और ऊपर से कहता है।
"लव और रोहित समझाओ इस पागल औरत को"।

"तु म्हारे म्हारे पागल बोली रियों है, अगर मरद को छोरो है तो नीचे उतरी के बता"?

अपनी चाची को खतरनाक गुस्से में देख कर लव कहता है "चाची रुक जाइए और पहले चाचा से यह तो पूछ लो कि वह केवल मुझे ले जाने के लिए आए हैं या आप से मिलने भी आए हैं"।

तभी खंभे पर चढ़ा जॉनी वहीं से कहता है -" निशा डार्लिंग"! "लव को ले जाना तो केवल, एक बहाना है असल में तुझसे मिलने ही आया हूं, मैं आज भी तुमसे बहुत प्यार करता हूं और तुम्हारे बिना नहीं जी सकता हूं, आज से जो तुम कहोगी, मैं वह करूंगा"।

प्रेम से भरे जॉनी के यह शब्द निशा के हृदय को पिघला देते हैं, लव इस बात को भलीभांति जान जाता है और कहता है -" चाची अब मान भी जाओ और चाचा को सुधरने का एक मौका दे दो"।

"चल ठीक है, थारे माफ करियो, जॉनी डाकोत्रा पर आज से थारे म्हारी हर बात माननी पड़ेगी"।

"आज से जो तुम कहोगी मैं वही करूंगा"। जॉनी ने कहा

इस तरह जॉनी और निशा के रिश्ते में सुधार हो जाता है और जॉनी, लव को लेकर घर आ जाता है।

अब लव और सोनिया अक्सर गीता से मिलने उसके घर आया करते हैं, यह तीनों अब बहुत करीब आ गए हैं, वैसे तो लव, स्नेहा और सोनिया बहुत अच्छे दोस्त हैं पर लव और स्नेहा की नजदीकी सोनिया को पसंद नहीं है वह अपनी इस नाराजगी को अपने हृदय में छुपा कर रखती है, ऐसे ही कई दिन बीत जाते हैं और इनकी स्कूली परीक्षा शुरू हो जाती है, आज परीक्षा का पहला दिन है, स्कूल के गेट के पास मायूस चेहरा लिए सौरभ खड़ा है, जो परेशान लग रहा है, स्नेहा उससे कहती हैं -" चलो सौरभ, परीक्षा शुरू होने वाली है"।

"मेरे पापा आने वाले हैं मुझे उनसे जरूरी काम है, तुम जाओ, मैं कुछ देर बाद आ जाऊंगा"। सौरभ ने कहा

स्नेहा क्लास में आ जाती है और कुछ देर बाद परीक्षा शुरू हो जाती है पर इस नेहा के दिमाग में सौरभ का मायुस चेहरा कई प्रश्न के लिए खड़ा है, जब वह सौरभ की टेबल को खाली पाती है तो उससे रहा नहीं जाता और वह दोबारा स्कूल के गेट के पास आ जाती है, जहां टकटकी आंखें लगाए सौरभ, अपने पापा का इंतजार कर रहा है पर स्नेहा इस बात को समझ नहीं पाती और अपनी अनुभूति के आधार पर सौरभ से कहती है।

"पढ़ाई नहीं की है इसलिए परीक्षा देने से डर रहे हो, परिणाम आने से पहले ही हार मान गए पर तुम्हें जितना आता है उतना तो लिख ही सकते हो, तुम्हें हमारी दोस्ती कसम, परीक्षा देने चलो"।

"तुम जैसा समझ रही हो वैसी बात नहीं है, मेरे पापा सरकारी नौकरी करते हैं, कमाते भी ठीक-ठाक है पर वह नशे में सारे पैसे उड़ा देते हैं, प्रिंसिपल सर ने कहा है जब तक मेरी फीस जमा नहीं होगी, तब तक वह मुझे परीक्षा में नहीं बैठने देंगे, मां ने जैसे तैसे मेरा एडमिशन यहां कराया है और दिन रात मेहनत करके मुझे अब तक पढ़ाया है, अब मां ने यह मंगलसूत्र दिया है और कहा है इसे बेचकर फीस जमा कर देना, अब तुम ही बताओ मैं क्या करूं"?

"बस इतनी सी बात, मुझे पहले ही बता देते, अब बिना सवाल किए मेरे साथ चलो"। स्नेहा ने सहज भाव से कहा

सौरभ आज्ञाकारी भाव से स्नेहा के पीछे चलने लगता है और इन दोनों के कदम प्रिंसिपल के कक्ष में आकर रुकते हैं।

"सर"! "सौरभ की जो भी फीस बाकी है वह आज का पेपर हो जाने के बाद, आपको मिल जाएगी और अगर आपको मेरी बात पर यकीन नहीं है तो आप यह मेरी सोने की चूड़ियां गिरवी रख लीजिए"। स्नेहा ने दृढ़ता से कहा

"ठीक है तुम कहती हो तो मैं सौरभ को परीक्षा देने की अनुमति देता हूं और तुम अपनी चूड़ियां पहन लो, मुझे तुम्हारी बात पर यकीन है, तुम्हारे पिता मेरे अच्छे मित्र हैं"। प्रिंसिपल ने हिचकते हुए कहा।

इस तरह स्नेहा अपने दोस्त सौरभ को परीक्षा देने का अवसर दिलाती है फिर स्नेहा अपना पेपर पूरा कर दोबारा गेट के पास आकर खड़ी हो जाती है, लव स्नेहा से मिलता है तो वह सौरभ की दास्तां बताती है, तब लव कहता है -"मैं अभी पापा से पैसे लाकर सौरभ की फीस जमा कर देता हूं"।

"सौरभ तुम्हारा ही नहीं, हम सबका मित्र हैं इसलिए हम सभी मिलकर उसकी मदद करेंगे"। स्नेहा ने कहा

"हम सभी मिलकर सौरभ की मदद कैसे कर सकते हैं"? लव न प्रश्न किया।

"बोल कर दिखाऊं या कर - कर दिखाऊं"। स्नेहा ने व्यंग भाव में कहा।

"करके दिखाओ"। लव ने मुस्कुराते हुए कहा।

तभी स्नेहा  स्कूल के गेट को बंद कर देती है क्योंकि सभी विद्यार्थी परीक्षा देकर गेट की तरफ आ रहे हैं, जब गेट के पास सभी विद्यार्थी आ जाते हैं, तब स्नेहा कहती हैं -" मेरे सभी दोस्तों"! "किताबी पढ़ाई की परीक्षा में क्या होगा यह हम नहीं जानते पर हम, हमारी दोस्ती की परीक्षा में फेल ना हो जाए इसलिए मैं आज तुम सबको कुछ बताना चाहती हूं, हम सबका दोस्त सौरभ एक गरीब परिवार से है, उसकी मां कड़ी मेहनत करके अच्छी शिक्षा के लिए उसे हमारे स्कूल में पढ़ा रही हैं, आज सौरभ को परीक्षा में बैठने के लिए रोक दिया गया था क्योंकि उसके पिछले महीनों की फीस बकाया है, मैंने अपनी जवाबदारी पर आज सौरभ को परीक्षा में बिठाया है और प्रिंसिपल सर से वादा किया है कि मैं आज उसकी सारी फीस जमा कर दूंगी पर सच कहूं तो यह कार्य में अकेली नहीं कर सकती हूं पर हम सभी मिलकर इस कार्य को पूरा कर सकते हैं, आज हमारे पास सबको बताने का  अवसर है कि जो काम दुनिया के बड़े-बड़े रिश्ते नहीं कर सकते, वह काम दोस्ती कर सकती है, इसीलिए जिससे जो मदद हो, वह जरूर करें"।

यह कह कर स्नेहा अपना दुपट्टा जमीन पर बिछा देती है, स्कूल के सभी विद्यार्थी स्नेहा से बहुत प्रभावित हैं इस कारण अपनी खुशी से उसकी बात का सम्मान करते हैं और मदद करने लगते हैं फिर लव और स्नेहा पैसों की गणना करते हैं पर अभी भी इनको ₹1000 कम पड़ते हैं।

"मेरे पास ₹1000 है, चिंता मत करो"। लव उत्साह से कहा

"तुम मुझे ₹500 उधार दे दो, जल्दी लोटा दूंगी"। स्नेहा ने कहा।

इस तरह लव और स्नेहा  500-500 मिलाकर पैसे पूरे करते हैं  और सौरभ की फीस जमा कर देते हैं, स्नेहा अपनी सूझबूझ से सौरभ की मदद कर, अपनी दोस्ती का सकारात्मक संदेश देती है, परीक्षा समाप्त हो चुकी है, कुछ दिनों की छुट्टियां चल रही है पर लव और स्नेहा कि दोस्ती पर इन छुट्टियों का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है, यह प्रतिदिन मिला करते हैं, लव तो अब स्नेहा के घर का एक सदस्य बन गया है, गीता ने लव को अपना बेटा मान लिया है और वह अब स्नेहा और लव के भविष्य को एक साथ देखने लगी है, लव और स्नेहा भी अक्सर उस पहाड़ी पर जाया करते हैं और वहां घंटों बैठकर बातें किया करते हैं, इन दोनों के जीवन में वह सब कुछ है, जो जीवन में खुश होने के लिए चाहिए, इसीलिए इन दोनों को वक्त से कोई शिकायत नहीं है पर यह समय की प्रकृति है कि उसे यह कतई स्वीकार नहीं कि उससे किसी को शिकायत न हो, इसी कारण समय अपना सच्चा रुप धारण कर इनकी हंसती, मुस्कुराती, नाचती, गाती, जिंदगी में दस्तक देता है, जिससे यह दोनों पूरी तरह अंजान है।

एक गैर कानूनी कार्य को पूरा करने से पहले ही जॉनी की पुलिस एनकाउंटर में मौत हो जाती है, इस कारण पूरे शहर में खोफ छा जाता है, जॉनी का अंतिम संस्कार चल रहा है, रोहित अपने पिता की चिता को मुखाग्नि देता है तभी ब्रह्मा जी के फोन की घंटी बजने लगती है, ब्रह्मा जी उस गुप्तचर का संदेश सुनकर डेनी के कान में कुछ कहता है।

जिसे सुनकर डैनी भभकती अग्नि जैसा भभक कर कहता है -" उस कुत्ते को उसके परिवार के साथ उठा लाओ, मेरे भाई की चिता बुझने से पहले, उसके पूरे परिवार की चिताए जलनी चाहिए"।

संजय सागर को उसकी पत्नी गीता और बेटी स्नेहा को घर से उठाकर एक गुप्त अड्डे पर लाया जाता है और तीनों को 3 खंभों से एक पंक्ति में बांध दिया जाता है।

"कुत्ते तुझे समझाया था कि अपनी हिम्मत सही जगह दिखाना पर तू नहीं माना, आज तूने, अपने साथ अपनी पत्नी और बेटी की भी मौत तय कर दी है"। ब्रह्मा जी ने संजय को तमाचा जड़ते हुए कहा।

"जो भी करना है मेरे साथ करो, इसमें मेरी पत्नी और बेटी की कोई गलती नहीं है"। संजय ने साहस के साथ कहा।

"तेरी बेटी का हम पर बहुत बड़ा एहसान है, इसने एक बार मेरे बेटे की जान बचाई थी, इसलिए इसे मैं नहीं और कोई मारेगा"। डैनी ने जलती शिगार संजय के गाल पर बुझाते हुए कहा।

डेनी अपनी पिस्तौल संजय की कनपटी पर रखता है, तभी गीता माफी मांगने लगती है और स्नेहा, लव - लव कहने लगती है, तभी वहां पर लव भी आ जाता है।

"पापा इसमें इसमे स्नेहाहां और उसकी मां की कोई गलती नहीं है इसलिए इन्हें छोड़ दीजिए"।

"तू पागल हो गया है, यह समय भावनाओं में बहने का नहीं है, बल्कि इन तीनों को ऐसी मौत देने का है, जिसे देखकर हम से टकराने वालों की रूह कांप उठे"। डैनी बुलंद आवाज में कहा।

"जिसे मरना है, वह तो मरेगा ही पर स्नेहा और उसकी मां को मारना ठीक नहीं है"। लव ने कहा।

"तभी स्नेहा लव की ओर उम्मीद भरी नजरों से देखते हुए कहती है -"लव"! "आज तुम्हें, मेरे पापा को भी बचाना होगा, तुम्हें हमारी दोस्ती की कसम है"।

"स्नेहा के यह शब्द डैनी की छाती में खंजर की तरह चुभते हैं इसी कारण डैनी अपनी पिस्तौल को स्नेहा की कनपटी पर रख कर कहता है -" तुम्हें और तुम्हारे पापा को आज भगवान भी नहीं बचा सकते हैं"।

तभी लव स्नेहा के सामने ढाल बनकर खड़ा हो जाता है और निर्भयता से कहता है -"पापा इसे मारने से पहले आपको मुझे मारना होगा।

"आज तुम्हें और तुम्हारे पापा को भगवान भी नहीं बचा सकते हैं"। डैनी ने कहा

अपने पिता के मुंह से स्नेहा के प्रति ऐसे शब्द सुनकर लव के हृदय में कल तो वीर के भाव उमड़ पड़ते हैं जो इस प्रकार है।

                               शायरी 

तेरी धड़कन से मेरी सांसे हैं, तेरे बिन मैं मर जाऊंगा।
मेरी जान नेमत है तेरी, तेरी खातिर लूटा जाऊंगा।।
वाह रे मेरी किस्मत पर तेरी कीमत गवारा नहीं।
आज सारे बंधन तोड़ कर, हर ताकत से भिड़ जाऊंगा।।

लव को अपने चाचा की हत्या का भी अफसोस है इसीलिए वहां स्नेहा को समझाने की कोशिश करता है।

"तुम्हारे पापा ने मेरे चाचा की हत्या की है, इस कारण मेरी चाची विधवा हो चुकी है और रोहित के सिर से उसके पिता का साया छीन गया है और यह सब तुम्हारे पापा ने किया है"।

"मेरे पापा ने तुम्हारे चाचा और तुम सबके साथ बहुत गलत किया है पर मेरे पापा कानून के रक्षक हैं और तुम्हारे चाचा गैरकानूनी काम करते थे, उस घटना में, मेरे पापा की भी जान जा सकती थी, तो क्या मैं तुम्हारे अंकल और तुम सबसे बदला लेती, नहीं ना तो फिर तुम क्यों, ऐसा कर रहे हो"।

"मैं अपने चाचा के हत्यारे को माफ नहीं कर सकता हूं"। लव ने कहा

"लव तुम, मुझे मां समझते हो ना और तुम यह भी जानते हो कि मैं तुमसे कभी कुछ गलत करने का नहीं कहूंगी, मेरे पति ने जो भी तुम्हारे साथ किया है, वह दुखद है, इसके लिए मैं तुम सब से माफी मांगती हूं, इन्हें माफ कर दो"। गीता ने कहा।

"लव, अगर आज मेरे पापा को कुछ हो गया तो उसके जिम्मेदार तुम होंगे और इसके लिए मैं तुम्हें कभी माफ नहीं करूंगी, तुम, मुझे हमेशा के लिए खो दोगे"। स्नेहा ने सख्त भाव से कहा।

स्नेहा के यह शब्द लव को वह करने पर मजबूर कर देते हैं जो वह स्वयं नहीं चाहता है, वह अपने पिता को समझाते हुए कहता है -"पापा जो होना था वह हो चुका है, हमें इन्हें मारने से क्या मिल जाएगा, हम इनके हाथ पैर तोड़कर इन्हें जिंदगी भर के लिए अपाहिज बना देते हैं"।

"चुप हो जा नालायक, तू अपने चाचा के हत्यारे को माफ कर सकता है पर मैं अपने भाई के कातिल को माफ नहीं कर सकता हूं"।

"धाईं"!

डेनी की पिस्तौल से निकली गोली ने संजय के सिर को फोड़ दिया है, यह देख गीता बेहोश हो गई है और स्नेहा बिलख - बिलख  कर रो रही है फिर डेनी अपनी पिस्तौल की दिशा स्नेहा की ओर मोड़ता है, यह देख लव ब्रह्मा जी के हाथों से बलपूर्वक पिस्तौल छीन लेता है और उसे अपनी कनपटी पर लगा कर ट्रिगर (trigger)  दबा देता है।

पिस्तौल से निकली इस गोली की आवाज के साथ इस कहानी का पहला अध्याय समाप्त होता है पर इस वक्त इसे सुनने वाले लेखक और पढ़ने वाले पाठक के हृदय की पृष्ठभूमि पर कई सवाल खड़े हुए हैं।

"क्या इस बंदूक से निकली गोली की आवाज लव की धड़कन की भी अंतिम आवाज थी"?

"पिस्तौल से निकली इस गोली के साथ लव और स्नेहा की दोस्ती की भी जान निकल गई है"।

"क्या मोहब्बत की इस दास्तान को आगे लव के बिना लिखा जाएगा"?

ईश्वर के मुख से इस कहानी का पहला अध्याय सुनने के बाद व्याकुल लेखक की दशा देखकर ईश्वर ने कहा।

मैं सर्वमय होने के कारण, तुम्हारे हृदय में उत्पन्न सभी भावो को जानता हूं, इसलिए अपने हृदय को स्थिर रखो, तुम्हें, तुम्हारे सभी प्रश्नों के जवाब अगले अध्याय में मिल जाएंगे, अब तुम निश्चित होकर मुझसे एक प्रश्न करो"?

"आपकी मर्जी के बिना एक पत्ता भी नहीं हिल पाता है तो संसार मैं इतना दुख क्यों है"? "क्या जिवो के दुख के कारण आप हो"?

"जब जगत का कारण मैं हूं, तो  जीवो के दुख से भिन्न कैसे हो सकता हूं"? "मनुष्य की स्वाभाविक प्रकृति है कि उसके सुख का कारण वह स्वयं है और दुख का कारण कोई और है, कुछ विरले लोग भी है जो कहते हैं, मेरे दुख का कारण में स्वयं हूं तो उसके सुख का कारण कोई और कैसे हो सकता है"?
"मैंने गीता में कहा है - ईश्वर जीव के ना कर्त्तापन, ना कर्म और ना कर्मफल को उत्पन्न करते हैं, इन सब को रचने वाली प्रकृति है, अर्थात जीव का स्वभाव है।
"जैसे आकाश सब और व्याप्त होकर भी सबसे अलिप्त है वैसे ही मैं इच्छारहित, अनासक्त, उदासीन, दुख - सुख, लाभ - हानि, जय - पराजय, हर्ष-गर्वादि, शौक - मोहादि, द्वेष, प्रीति जैसे सभी भावों से अलिप्त हूं, मुझे ना कोई प्रिय है और ना ही कोई अप्रिय है, मैं स्वतंत्र जीवो के किसी भी कर्म में हस्तक्षेप नहीं करता हूं, हर प्राकृतिक जीव प्रकृति के अधीन है, जो जीव त्रिगुणात्मक प्रकृति के स्वभाव को तत्व से जानता है, उन विवेकी पुरुषों को दुख और सुख में अंतर दिखाई नहीं देता है और अंत: सबका कारण में हूं"।

अब मैं तुम्हें इस कहानी का दूसरा अध्याय इंतजार सुनाता हूं ध्यान से सुनो।

                             समाप्त

अगर आपको यह कहानी है अच्छी लग रही है तो आप इस कहानी को उन लोगों तक जरूर पहुंचाएं, जिनसे आप प्रेम करते हो। 🙏🙏🙏🙏


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6 Comments

shweta soni

23-Jul-2022 05:12 PM

Bahot sunder rachna 👌

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Shrishti pandey

01-Jun-2022 09:17 PM

Nice

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The traveller

31-May-2022 02:04 PM

Good

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